Saturday, March 18, 2017

{३३७} होली





ऐसी होली मनाओ, मजा आ जाए
दूरियाँ सब मिटाओ, मजा आ जाए।

किसी को छोटा या बड़ा समझो नहीं
खूब रँगो और रँगाओ, मजा आ जाए।

रँग में ऐसे रँग को जमकर मिलाना
भूले अपनो-पराओ, मजा आ जाए।

रँग-गुलाल डालो या न डालो, मगर
जरा सा मुस्कुराओ, मजा आ जाए।

लाख जतन करूँ मगर उतर न सके
रँग इश्क का चढ़ाओ, मजा आ जाए।


.......................................... गोपाल कृष्ण शुक्ल

No comments:

Post a Comment