Sunday, April 26, 2015

{ ३११ } धोखा पहले पाप था अब दस्तूर हो गया





धोखा पहले पाप था अब दस्तूर हो गया
आँख होते हुए अँधापन भरपूर हो गया।

बुरा भी है वोह पर छोड़ता कोई नहीं उसे
आमों-खास का आज वो ही नूर हो गया।

सिर झुका के किसी को खुदा बना लिया
दिखाकर चालाकियाँ वो मशहूर हो गया।

दिल की प्यास लिये चलते मुद्दत गुजरी
न बुझेगी प्यास दिल चकनाचूर हो गया।

हवाओं में विष घुला सावन भी रूठ गया
पीड़ा हुई संगनी जाने क्या कसूर हो गया।

........................................... गोपाल कृष्ण शुक्ल

1 comment:

  1. बहुत सुन्दर लाइन
    धोखा पहले पाप था अब दस्तूर हो गया |

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