Sunday, October 5, 2014

{ २९४ } बेगाना मंजर






आँखों के वो सपन चुराना
मंजर हुआ अब ये बेगाना।

नजरों में आ जाये मोहब्बत
चल निकलेगा गम बेगाना।

दिल के हाथों दर्द उठा कर
भटका फ़िरेगा वो दीवाना।

आपा-धापी, भाग-दौड मे
छूट गया प्रेम-अफ़साना।

जब पलट कर देखी दुनिया
दुख-दर्द का बिखरा खजाना।


---------------------------- गोपाल कृष्ण शुक्ल

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