Saturday, May 5, 2012

{ १५३ } पैसा बोले........




हम क्या बोलें ?
पैसा बोले......
पैसा बोले......

बेबस इसाँ की शुचिता को
भीगी आँखों की सरिता को
सारा जग पैसे से तोले ।

हम क्या बोलें ?
पैसा बोले......
पैसा बोले......

इसके पीछे है दुनिया पागल
साधू-संतों का मन भी घायल
पैसे पर ही सारी दुनिया डोले ।

हम क्या बोलें ?
पैसा बोले......
पैसा बोले......

सुख-सुविधा का ढेर लगा दे
भेद हृदय के सारे खुलवा दे
पैसा बदल दे सबके चोले ।

हम क्या बोलें ?
पैसा बोले......
पैसा बोले......

उसको सुख का आनन्द नही
उसके पुष्पॊं पर मकरन्द नही
बिन पैसे काँटों पर सो ले ।

हम क्या बोलें ?
पैसा बोले......
पैसा बोले......

गुण से ज्यादा अवगुण धन में
कटुता ही कटुता भरता मन में
फ़िर भी मानुष पैसा-पैसा बोले ।

हम क्या बोलें ?
पैसा बोले......
पैसा बोले......


........................................ गोपाल कृष्ण शुक्ल






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