Tuesday, February 7, 2012

{ ८१ } मए-पैमाना





ज़िन्दा रहने के लिये जरूरी है मए-पैमाना कोई
क्या यूँ ही बेवजह कहीं जाता है मयखाना कोई।

जरूरी है क्या मौत की वजह बताओ शराब को
मौत को तो मिल ही जायेगा नया बहाना कोई।

दर्दो-गम, दिले-जख्म और दुनियावी फ़रेबों को
मेरे शिकस्ता दिल से हटाता है मए-पैमाना कोई।

इन सागरो-मीना को अभी न हटाओ सामने से
बहुत याद आ रहा है आज पुराना याराना कोई।

ऐ दोस्तों, ये पैमाने मोहब्बत का भरम पाले है
वरना आता नहीं मेरे पास इश्के-दीवाना कोई।

............................................................. गोपाल कृष्ण शुक्ल


No comments:

Post a Comment