Friday, October 28, 2011

{ ५९ } मुस्कान बनाए रखिए






मुस्कान अपने लबों पर बनाए रखिये
गम के आंसू दिल में ही दबाए रखिये|

रंजीदगी बढ़ कर मीनारों सी हो गई हो
लेकिन परदों में उनको छुपाए रखिये|

जमाने को दिखाओ हंसता हुआ चेहरा
गमज़दगी को दिल में ही दबाए रखिये|

गुस्ताखियाँ तो लोगों से होती ही रहेंगी
आप मुआफियों को पास बनाए रखिये|

दिल की हर बात कहना कोई जरूरी नहीं
अपने लबों पर खामोशी सजाए रखिये|

तनहा न रहोगे इस दुनिया में कभी भी
यार न सही, एक दुश्मन बनाए रखिये|

चाहे ज़माना हो जाए खिलाफ, होता रहे
आप अपने हौसले बुलंद बनाए रखिये|

तुख्म जमीं पर बिखेरो, चमन सजाओ
यूँ खुश्बुओं का सिलसिला बनाए रखिये|

मेरे अंदाज़ से वाकिफ होगे रफ्ता-रफ्ता
मेरी ग़ज़लों पर यूँ ही नजरें जमाए रखिये|


............................................... गोपाल कृष्ण शुक्ल

रंजीदगी=दुःख, गम
तुख्म=बीज
रफ्ता-रफ्ता=धीरे-धीरे


1 comment:

  1. very beautiful ....bahut hi sunder ...........thanks for this gazal.

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