Monday, September 19, 2011

{ ५०} मै साथ हूँ







चाहत के हर मुकाम पर मैं साथ हूँ

हो गैरों की ही भीड पर मै साथ हूँ।


पलकों पर तो सजाया है तुमने मुझे

आँखों मे रोशनी की तरह मै साथ हूँ।


उल्फ़त में कुर्बान हो जाए मेरी दुनिया

पर हर अंजामे-मोहब्बत मे मै साथ हूँ।


मंजिल हम अपनी एक दिन पा जायेंगे

हमसफ़र राह पर चला चल, मैं साथ हूँ।


किस्मत हो मेहरबान या कि दगा दे जाये

पर हर तूफ़ाँ में साहिल तक, मै साथ हूँ।



............................................. गोपाल कृष्ण शुक्ल



1 comment:

  1. चाहतों के हर मुकाम पर मैं साथ हूँ
    हो गैरों की ही भीड़ पर मैं साथ हूँ....

    बहुत सुन्दर भईया...
    सादर...

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